शाहीनबाग: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- क्या चार महीने का बच्चा वहां प्रदर्शन करने गया था
शाहीन बाग में जारी प्रदर्शन में चार महीने के बच्चे को ले जाने कारण हुई कथित मौत से संबंधित मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है। सनद रहे कि राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार जीतने वाले मुंबई की 12 वर्षीय बच्ची द्वारा लिखे पत्र पर सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका में तब्दील कर दिया है। 12 वर्षीय बच्ची ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे को लिखे अपने पत्र में कहा था कि धरना-प्रदर्शन से नवजात व बच्चों को दूर रखने का निर्देश दियाजाना चाहिए।
सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान महिला वकीलों के एक समूह द्वारा यह दावा किया गया कि बच्चों को प्रदर्शन करने का अधिकार है। इस पर चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा, क्या चार महीने का बच्चा वहां प्रदर्शन करने के लिए कहा गया था?’ इनमें से एक महिला वकील ने कहा कि प्रदर्शन करने वाले लोगों के बच्चे को स्कूलों में अपमानित किया जा रहा है, उन्हें पाकिस्तानी कहा जा रहा है। लिहाजा अदालत को इस पर विचार करना चाहिए।
इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि स्कूल में अगर किसी बच्चे को पाकिस्तानी कहा जाता है, इस मसले पर हम विचार नहीं कर रहे है। साथ ही चीफ जस्टिस ने कहा कि हम सीएए-एनआरसी व स्कूलों में बच्चों को हो रही परेशानी केमसले पर गौर नहीं कर रहे हैं। चीफ जस्टिस ने कहा, हम मातृत्व व शांति का बेहद सम्मान करते हैं। ऐसी बहस न की जाए जिससे गर्माहट हो। अप्रासांगिक दलीलें देकर विघ्न न डाला जाए।’
12 वर्षीय बच्ची जेन गुनरतन सदावर्ते द्वारा चीफ जस्टिस एसए बोबडे को लिखे गए पत्र में कहा गया था कि धरना-प्रदर्शन में नवजात शिशुओं व बच्चों को शामिल करने पर रोक लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देश दिया जाना चाहिए।
मालूम हो कि करीब दो महीने से शाहीन बाग में सीएए-एनआरसी के विरोध में जारी धरना-प्रदर्शन में शामिल होने वाले एक दंपती के चार महीने के बच्चे की जान चली गई थी।
जानकारी के मुताबिक, कड़ाके की ठंड में अपने बच्चे केसाथ यह दंपती धरने में लगातार शामिल हुए थे और कथित तौर पर ठंड की वजह से चार महीने के बच्चे की जान चली गई थी।
जेन ने अपने पत्र में कहा था कि नवजात शिशुओं व बच्चों को धरना-प्रदर्शन में शामिल करना क्रूरता व प्रताड़ना के समान है। शाहीन बाग में चार महीने के बच्चे की मौत को जेन ने संविधान के अनुच्छेद-21(जीवन जीने का अधिकार) का उल्लंघन करार दिया है।
पत्र में 12 वर्षीय बच्ची जेन ने कहा था कि शाहीन बाग में जारी धरना-प्रदर्शन में महिलाएं, वरिष्ठ नागरिक, नवजात शिशुओं व बच्चों भी शामिल हैं। जबकि नवजात के लिए उचित देखभाल बेहद आवश्यक है क्योंकि वे अपनी परेशानी को व्यक्त नहीं कर सकते। इस बात को भी नजर अंदाज किया जा रहा है कि यह उनके लिए अनुकूल वातावरण नहीं है। नवजात शिशुओं व बच्चों को प्रदर्शन स्थल पर बाल अधिकार और प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन है।