मध्य प्रदेश छतरपुर जिले के साथ-साथ समूचे बुंदेलखंड में कोरोना (कोविड19) की आशंका, अनहोनी से दूर नहीं ,प्रशासन को ध्यानाकर्षण की अत्यंत आवश्यकता
RV न्यूज लाईव ब्यूरो चीफ महेंद्र सिंह ठाकुरछतरपुर
मध्य प्रदेश जिला छतरपुर विदित है कि प्रतिदिन जिले के प्रत्येक #गांव में इकाई से लेकर दहाई के अंक तक कामगार( मजदूरों) का आना बाहरी राज्यों से #अपने गांव घर हो रहा है, जब दिल्ली, पंजाब व सटे राज्यों से पैदल चलकर मजदूरों ने अपने घर के लिए रवानगी ली तो लाखों की संख्या में जत्था निकला ,अौर सब नियमों व कोरोना जैसी महामारी भूलकर एक साथ चल दिया,जब पूरे देश में सोशल मीडिया व मीडिया पर बवाल मच गया, आनन-फानन में #उत्तर प्रदेश सरकार ने कुछ दशक बसें मुहैया कराकर राज्यों की सीमाओं तक छोड़ने का फैसला किया, लेकिन बसें मुहैया होने के पहले भी कई लोग पैदल घर आ चुके हैं महत्वपूर्ण बात यह है कि जब देश के प्रधानमंत्री ने समूचे देश में लाकडाउन घोषित किया तो क्या उन कामगार मजदूरों की व्यवस्था करवाना दिल्ली सरकार असमर्थ थी,
प्रश्न इस बात का है की जहां एक दूसरे से लगभग 1 मीटर दूरी बना कर चलना था मुंह पर मास्क और हाथों में सैनिटाइजर लगा कर चलना था तो वह दिल्ली व उत्तर प्रदेश के बीच जो स्थिति बनी लाखों की संख्या में एक साथ मजदूर वर्ग यह स्थिति किसी से छुपी नहीं है, अब जब कोई भी व्यक्ति हजारों लाखों व्यक्तियों के समूह से निकलकर अपने घर आता है और परिवार में रहने लगे तो क्या इस पर कोरोना जैसी घातक महामारी की आशंका नहीं है, अगर इन लाखों व्यक्तियों में से कोई एक भी व्यक्ति संक्रमित हुआ होगा तो उसने कितने लोगों को संक्रमित किया होगा।
क्या बाहरी राज्यों से आने वाले व्यक्तियों का डायरेक्ट घर व गांव में प्रवेश करना उचित है??
अगर उचित है तो सही है,किंतु उचित नहीं है तो फिर ऐसा क्यों? शासन की मानें तो बॉर्डर पर सभी लोगों का चेकअप हुआ है और चेकअप होकर ही सभी लोग अपने घर रवाना हो रहे हैं।
तो क्या चेकअप होने वालों की टेस्ट रिपोर्ट 100% सही है क्या उनको 14 दिवस तक क्वॉरेंटाइन में नहीं रखा जाना चाहिए,
क्या गारंटी है उस रिपोर्ट की कि जिन जिन लोगों का चेकअप हुआ है उनमें से 100% लोगों में 12 या 13 दिन बाद #कोरोना के सिम्टम्स नहीं पाई जाएंगे, और अगर ऐसी जवाबदेही है नहीं पाए जाएंगे तो अच्छा है।
क्या प्रत्येक गांव में, गांव के बाहर शासकीय भवनों में क्वॉरेंटाइन की नही हो सकती व्यवस्था?-- समूचे जिले के प्रत्येक गांव में शासकीय भवन उपलब्ध है और उसमें आने वाले प्रत्येक व्यक्ति 14 दिवस बिता सकते हैं क्योंकि इससे पता चलेगा कि अगर कोई व्यक्ति 14 दिवस तक स्वस्थ रहता है तो वह अपने घर पर परिवार जन के साथ रहने में सक्षम है, किंतु इन हजारों आने वाले व्यक्तियों में से अगर किसी एक को भी बाद वाले दिनों में कोरोना के सिम्टम्स दिखें तो वह कितने लोगों को संक्रमित कर सकता है क्या इसका अंदाजा सरकार व जिला प्रशासन को है। मैं भी जानता हूं कि देश की सरकारें व प्रशासन मुस्तैदी से डटा हुआ है लेकिन अगर इस लापरवाही में कुछ लोग भी संक्रमित पाए गए तो क्या फिर कंट्रोल हो पाएगा।
क्या बाहरी राज्यों से आने वाले लोग भी जिम्मेदारियों से बच रहे??? मैं यह भी बता दूं आपको कि बाहरी राज्यों से जिले में आने वाला व्यक्ति भी अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीकों से नहीं निभा रहा, उनका भी कर्तव्य बनता है कि व बाहर से आने के बाद अपने आप को परिवार व समाज से 14 दिवस तक दूर रखें किंतु वह भी बराबर लापरवाही बरते जा रहे हैं। अगर इन लोगों में से किन्ही चंद्र लोगों को भी संक्रमण पाया गया तो बचाना मुश्किल हो जाएगा और इनकी ही बात नहीं अपितु यह लोग इस दौरान किन परिवारों व किन किन लोगों से मिल रहे हैं यह कहीं ना कहीं थर्ड स्टेज पर पहुंचाने वाली स्थिति पैदा कर देगा।
आपको बता दूं कि यह अति गंभीर विषय है प्रशासन को इस पर एक बार सोचने का प्रयास करना चाहिए अगर इस तरह से बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों को कुछ दिवस गांव के बाहर बने शासकीय भवनों में रखा जाए वहां पर उनको उन्हीं के परिवारों द्वारा या ग्राम प्रधान के द्वारा खानपान व कपड़ों की व्यवस्था उपलब्ध कराई जाए तो यह कहीं ना कहीं समूचे बुंदेलखंड या समूचे जिले के लिए औषधि का कार्य कर सकता है।
जैसे कि चंदला विधानसभा के अंदर आज दिनांक 29 3 2020 शाम रात 9:00 बजे तक दो बस एक ट्रक भरकर मथुरा नोएडा दिल्ली से आए हुए मजदूर चंदला नगर के अंदर प्रवेश हो गए
स्वास्थ्य केंद्र चंदला के अंदर सिर्फ एक डॉक्टर श्री लखन सिंह जी ने जांच कर सभी को अपने अपने ग्राम स्थान भेज दीया चंदला थाना प्रभारी श्री वीरेंद्र बहादुर सिंह एवं एस आई मनोज गोयल एवं asi झारखंडे मिश्राजी एवं asi राम सिंह जी पुरा पुलिस डिपार्ट रात दिन अपनी जिम्मेदारी के साथ चंदला खाना क्षेत्र के जनता को संभालने में कोई कसर नहीं छोड़ी बाहर से आने वाली हर एक आदमी को समझा कर ग्राम निवास भेजा गया