संसद: नागरिकता संशोधन बिल के समर्थन में बीजद-जदयू, एनसीपी ने किया विरोध

संसद: नागरिकता संशोधन बिल के समर्थन में बीजद-जदयू, एनसीपी ने किया विरोध




                                                    गृह मंत्री अमित शाह फाइल फोटो


खास बातें



  • नागरिकता संशोधन बिल के पारित होते ही छह दशक पुराना नागरिकता कानून-1955 बदल जाएगा।

  • पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले गैरमुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने की प्रक्रिया सहज हो जाएगी।



 


गृह मंत्री अमित शाह ने आज लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश किया। भारी हंगामे के बीच उन्होंने इसे सदन में रखा जिसका विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस ने जोरदार विरोध किया। बिल को सदन में पेश किए जाने पर वोटिंग पर भी हुई जिसके बाद इस पर चर्चा शुरू हुई। अमित शाह ने सरकार का पक्ष सदन के सामने रखा। 


 


                                                             एनसीपी की सुप्रिया सुले

 

एनसीपी की सुप्रिया सुले ने कहा: हमारे लोकतंत्र का पूरा चरित्र ही समानता पर आधारित है। मैं गृह मंत्री से सहमत नहीं हूं। ये सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो जाएगा। मैं उनसे गुजारिश करती हूं कि वह इस बिल को वापस ले लें। 

 

बीजद के प्रसन्ना आचार्य ने कहा- हम इस बिल का समर्थन करेंगे। लेकिन हमारी मांग है कि इसमें श्रीलंका को भी शामिल करना चाहिए क्योंकि अतीत में वहां अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हुआ है। साथ ही सरकार को इस धारणा को भी खत्म करना चाहिए कि ये बिल मुस्लिमों के खिलाफ है।


                                                                जेडीयू के राजीव रंजन सिंह

 

जेडीयू के राजीव रंजन सिंह ने कहा- हम इस बिल का समर्थन करेंगे। इस बिल को बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। अगर पाकिस्तान में प्रताड़ना के शिकार अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाती है तो ये सही कदम है। -तेलंगाना राष्ट्र समिति के सांसद नमा नागेश्वर राव ने कहा- धर्मनिरपेक्ष राजनीति की सोच के तहत हम इस बिल का विरोध करते हैं। हम संविधान के नियमों का पूरी तरह पालन करते हैं। 


 भाजपा की सोच विभाजनकारी- टीएमसी 
 लोकसभा में टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा- अगर स्वामी विवेकानंद भारत के विचार के खिलाफ पेश हो रहे इस बिल को देखते तो स्तंभित रह जाते। भाजपा का भारत का आइडिया विभाजन का है। महात्मा गांधी के शब्दों को नजरअंदाज करना और सरदार पटेल की सलाह को न मानना दुर्भाग्यपूर्ण होगा। 

ये बिल संविधान के खिलाफ: मनीष तिवारी 

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि ये विधेयक संविधान के खिलाफ है। हमारा देश सेकुलर है, ये बिल उस अवधारणा को तोड़ता है। अंतर्राष्ट्रीय नियम और संधि भी कहती है कि कोई भी शरणार्थी जो किसी भी धर्म से हो, आप उसे मदद देने से इनकार नहीं कर सकते। जब भी कोई शरणार्थी भारत आता है, हमसे शरण मांगता है, तो हम मानवीय आधार पर उसे मदद देते हैं।  
ये बहुत ही विचित्र कानून है, नेपाल-भूटान के लिए एक कानून, बांग्लादेश के लिए दूसरा कानून। अफगानिस्तान के लिए कुछ कानून, तो मालदीव के लिए कुछ और कानून। मैं पूछता हूं कि मालदीव का राजधर्म क्या है। इस बिल में विरोधाभास है और इसे दोबारा देखने की जरूरत है। किसी शरणार्थी का धर्म नहीं देखा जाता, सबको बराबरी का दर्जा दिया जाता है। ये बिल भारत की परंपरा के खिलाफ भी है। 
तिवारी ने कहा- आज गृह मंत्री ने सदन में कहा कि कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का विभाजन किया। मैं साफ करना चाहता हूं कि दो देश का सिद्धांत पहली बार 1935 में अहमदाबाद में  हिंदू महासभा में सावरकर ने रखा था, कांग्रेस ने नहीं। 


 

अमित शाह ने याद दिलाया घोषणापत्र 

2014 और 2019 में हमने घोषणापत्र में इसका जिक्र किया था। हमने कहा था कि पड़ोसी देशों में प्रताड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए इसे लागू करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। साथ ही पूर्वोत्तर के लोगों की पहचान खत्म होने की आशंका को भी दूर करेंगे। तब विपक्ष विरोध नहीं कर रहा था। क्या पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को अधिकार नहीं मिलना चाहिए? तो अब क्यों विरोध कर रहे हैं? धार्मिक प्रताड़ना कर इन देशों से लाखों लोगों को भगा दिया गया। कोई अपना देश, क्या अपना गांव भी नहीं छोड़ता। इतने सालों बाद भी भारत में उन्हें नौकरी, शादी, शिक्षा, स्वास्थ्य, घर खरीदने का अधिकार नहीं है। आज नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उन्हें सम्मान मिलेगा अधिकार मिलेगा।


हम सब पंथनिरपेक्षता को स्वीकार करते हैं, किसी के साथ पंथ, धर्म के आधार पर दुर्रव्यवहार नहीं होना चाहिए। मगर किसी भी सरकार का कर्तव्य ये भी है कि वह देश की सुरक्षा करे। घुसपैठियों की पहचान करे, क्या देश को सबके लिए खुला छोड़ देंगे। कौन सा देश है जिसने नागरिकता देने के लिए कानून नहीं बनाया है। हमने भी बनाया है। अमित शाह ने कहा कि मणिपुर को भी नागरिकता संशोधन बिल से छूट मिलेगी।   
 
 

नागरिकता संशोधन विधेयक पेश 

अमित शाह ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश। विधेयक को पेश किए जाने के लिए विपक्ष की मांग पर मतदान करवाया गया और सदन ने 82 के मुकाबले 293 मतों से इस विधेयक को पेश करने की स्वीकृति दे दी। शिवसेना ने बिल को पेश करने के समर्थन में वोट किया है। यदि विधेयक लोकसभा से पास हो जाता है तो इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा।गृह मंत्री शाह ने कहा कि विधेयक कहीं भी देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है और इसमें संविधान के किसी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया।
शाह ने सदन में यह भी कहा 'अगर कांग्रेस पार्टी देश की आजादी के समय धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं करती तो इस विधेयक की जरूरत नहीं पड़ती।' शाह ने जब विधेयक पेश करने के लिए सदन की अनुमति मांगी तो कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि यह अल्पसंख्यकों को लक्ष्य कर लाया गया विधेयक है। इस पर गृह मंत्री ने कहा कि विधेयक देश के अल्पसंख्यकों के 0.001 प्रतिशत भी खिलाफ नहीं है।
उन्होंने चौधरी की टिप्पणियों पर कहा कि विधेयक के गुण-दोषों पर इसे पेश किए जाने से पहले चर्चा नहीं हो सकती। सदन की नियमावली के तहत किसी भी विधेयक का विरोध इस आधार पर हो सकता है कि क्या सदन के पास उस पर विचार करने की विधायी क्षमता है कि नहीं। शाह ने कहा कि विधेयक पर चर्चा के बाद मैं सदस्यों की हर चिंता का जवाब दूंगा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि सदस्यों को विधेयक पर चर्चा के दौरान उनकी विस्तार से बात रखने का मौका मिलेगा। अभी वह अपना विषय संक्षिप्त में रख दें।

विपक्ष के भारी विरोध के बीच नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश
 

करीब एक घंटे तक इस बात पर तीखी नोकझोंक हुई कि इस बिल को सदन में पेश किया जा सकता है या नहीं। विधेयक पेश करने के बाद शाह ने कहा कि यह बिल संविधान के किसी भी अनुच्छेद को प्रभावित नहीं करता है। ऐसा नहीं है कि पहली बार सरकार नागरिकता के लिए कुछ कर रही है। कुछ सदस्यों को लगता है कि समानता का आधार इससे आहत होता है। इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश से आए लोगों को नागिरकता देने का निर्णय किया। पाकिस्तान से आए लोगों को नागरिकता फिर क्यों नहीं दी गई। अनुच्छेद 14 की ही बात है तो केवल बांग्लादेश से आने वालों को क्यों नागरिकता दी गई। 

गृह मंत्री ने कहा, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, ईसाइयों, पारसियों और जैनों के साथ भेदभाव किया गया है। इसलिए यह विधेयक इन सताए हुए लोगों को नागरिकता देगा। साथ ही यह आरोप कि विधेयक मुस्लिमों के अधिकारों को छीन लेगा गलत है।

ओवैसी ने शाह के खिलाफ विवादास्पद बयान दिया


लोकसभा में एआईएमआईएम सांसद ने अकबरुद्दीन ओवैसी ने गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ विवादास्पद बयान दिया, जिसके बाद सदन में हंगामा मच गया। उन्होंने लोकसभा में कहा, मैं आपसे (स्पीकर) और गृह मंत्री से अपील करता हूं इस देश को बचा लीजिए। मुस्लिम इसी देश का हिस्सा हैं। उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन हो रहा है। 

गृहमंत्री नए हैं, नियमों की जानकारी नहीं- सौगत राय


नागरिकता संशोधन विधेयक पेश होने के बाद लोकसभा में टीएम सांसद सौगत राय ने कहा कि गृहमंत्री नए हैं, उन्हें शायद नियमों की जानकारी नहीं है। इसके बाद लोकसभा में हंगामा हो गया। टीएमसी सांसद सौगत राय ने लोकसभा में कहा कि आज संविधान संकट में है। इसके बाद भाजपा के सदस्यों ने उनके बयान का विरोध किया। 

अमित शाह और अधीर रंजन के बीच बहस


सियासी विवाद के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने आज लोकसभा में नागरिक संशोधन बिल पेश कर दिया। उनके बिल पेश करते ही सदन में हंगामा मच गया। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इस बिल के जरिए अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। इस पर अमित शाह ने जवाब दिया कि ये बिल देश के अल्पसंख्यकों के .001 फीसदी खिलाफ भी नहीं है।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने बिल के विरोध में कहा कि यह कुछ नहीं बल्कि हमारे देश के अल्पसंख्यक पर लक्षित कानून है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 13, अनुच्छेद 14 को कमजोर किया जा रहा है।

इस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार हैं। कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी से शाह ने कहा वॉकआउट मत कर जाना।

यह पार्टियां बिल के विरोध और पक्ष में हैं
जहां बिल के पक्ष में भाजपा, जनता दल यूनाइटेड, अकाली और लोक जनशक्ति पार्टी हैं। वहीं कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वामपंथी दल और समाजवादी पार्टी इसका विरोध कर रही है।

 

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