दीप जलाकर मनाई गई छत्रिय कुलभूषण सम्राट पृथ्वीराज चौहान जयंती

दीप जलाकर मनाई गई छत्रिय कुलभूषण सम्राट पृथ्वीराज चौहान जयंती


संवाददाता मोहम्मद अनीस जौनपुर



जौनपुर -गौराबादशाहपुर। धर्मापुर के बंजारेपुर ग्राम सभा के राजनारायण सिंह के आवास पर अंतिम हिंदू सम्राट, क्षत्रिय कुल भूषण पृथ्वीराज चौहान की जयंती मनाई गई , जिसमें थाना अपराध निरोधक कमेटी (अध्यक्ष) डॉ0जयसिंह राजपूत द्वारा माल्यार्पण कर उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए अपने वक्तव्य में कहा गया कि पृथ्वीराज चौहान एक प्रतापी सम्राट थे, इनका जन्म 29 अप्रैल सन 1149 ई0में हुआ था, इनके पिता सोमेश्वर चौहान ,माता कर्पूरी देवी, पत्नी संयोगिता थी , कहा जाता है इनकी सेना अच्छी तरह सुसज्जित एवं संगठित थी, इसी कारण अपनी सेना के बलबूते इन्होंने कई युद्ध जीते एवं अपने राज्य का विस्तार करते चले गए, इनकी सेना बहुत ही विशालकाय थी, परंतु अंत में कुशल घुड़सवारों की कमी एवं  राजपूत राजाओं का सहयोग न मिलने के कारण द्वितीय युद्ध हार गए, अपने राज्य के विस्तार को लेकर पृथ्वीराज हमेशा सजग रहते थे ,जिस समय पंजाब पे मोहम्मद गौरी का शासन था, वह पंजाब के ही भटिंडा से अपने राज्य पर शासन करता था, गौरी को परास्त किए विना पंजाब पर शासन करना नामुमकिन था, इसी उद्देश्य को लेकर पृथ्वीराज ने अपनी विशाल सेना लेकर गौरी पर आक्रमण कर दिया, इस युद्ध में पृथ्वीराज ने हांसी ,सरस्वती ,सरहिंद पर अपना अधिकार जमा लिया, परंतु इसी बीच अनहिलवाड़ा में विद्रोह हुआ और पृथ्वीराज को वहां जाना पड़ा, और उसी समय धोखे से आक्रमण हुआ जिसमें सेना ने युद्ध में अपना कमांडो खो दिया, मगर जब पृथ्वीराज वापस लौटे तो उन्होंने दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए, केवल वही सैनिक बचे जो रणक्षेत्र छोड़कर भाग खड़े हुए, युद्ध में गौरी भी अधमरा हो चुका था, परंतु गौरी के एक सैनिक ने उसे घोड़े पर लेकर तुरंत महल में भाग गया ,वहाँ उसका उपचार करवाया, इस तरह युद्ध परिणाम हीन रहा, अपनी पुत्री संयोगिता के अपहरण के बाद जयचंद के मन में पृथ्वीराज के प्रति कटुता बढ़ती गई, वह पृथ्वीराज के प्रति अन्य राजपूत राजाओं को भड़काने लगा, जब उसे मो0 गौरी एवं पृथ्वीराज के युद्ध के बारे में पता चला तो  वह पृथ्वीराज के खिलाफ गौरी के साथ खड़ा हो गया,फिर दोनों मिलकर पुनः पृथ्वीराज पर आक्रमण कर दिये ,पृथ्वीराज के राज कवि चंदबरदाई ने अन्य राजपूत राजाओं से मदद मांगी तो संयोगिता के स्वयंबर की घटना को याद दिलाते हुए मदद करने से इंकार कर दीए, ऐसे में पृथ्वीराज अकेले पड़ गए, उसी समय जयचंद के गद्दार राजपूत सैनिकों ने राजपूतों का ही संहार किया, जिसमें जयचंद को भी अपनी गद्दारी का परिणाम प्राण देकर चुकाना पड़ा ,जिससे पृथ्वीराज चौहान की हार हुयी, इसके बाद पृथ्वीराज चौहान एवं चंदबरदाई दोनों को बंदी बना लिया गया, एवं तरह-तरह की यातनाएं दी गई, मगर मौका मिलते ही पृथ्वीराज चौहान ने गोरी को धराशाई कर दिया, इसके बाद उसकी सेना में खलबली मच गई, इसको देखते हुए राज कवि चंदबरदाई ने कहा दुश्मन के हाथों मरना ठीक नहीं, फिर क्या हुआ पृथ्वीराज चौहान एवं चंदबरदाई दोनों अपने हाथों ही वीरगति को प्राप्त हो गए, आज ऐसे महान योद्धा की जयंती पर कोरोना जैसी महामारी को ध्यान में रखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग एवं लॉक डाउन के कारण साधारण ढंग से दीप जलाकर जयंती मनाई गई, इस अवसर पर अमरजीत सिंह, प्रशांत सिंह, बिंद्रेश शर्मा, अभिषेक दुबे, राशिद अंसारी, राम आसरे मौर्य, रविंद्र सिंह चौहान द्वारा माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित करते हुए नमन किया गया।


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