फर्रुखाबाद शहर में ताजियेदारी को लेकर तीखी झड़पें,पुलिस की चैकसी के चलते नहीं दफन हो सके ताजिए
संवाददाता सचिन यादव फर्रुखाबाद
धर्म की आड़ लेकर सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ाने का प्रयास, कोतवाल ने ताजिया निकालने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के दिए निर्देश, पुलिस व मातियों के बीच दिन भर चलता रहा लुकाछिपी का खेल, सीओ ने मातहतों को हड़काया
जनपद फर्रुखाबाद उत्तर प्रदेश रिर्टन विश्वकाशी (RV NEWS LIVE) व्यूरो न्यूज- फर्रुखाबाद। कोविड-19 वायरस के संक्रमण के चलते पिछले कई महीनों से सभी प्रकार के कार्यक्रमों को प्रतिबंधित किया गया है। चाहें वो धार्मिक आयोजन हों चाहे सामाजिक सभी को न मनाये जाने के सरकारी आदेश हैं। बावजूद इसके यौमे याशूरा मोहर्रम पर शहर में दिन भर ताजियेदारों और पुलिस के बीच लुकाछिपी का खेल चला। जगह-जगह पर तीखी झड़पें होने की खबर है। पुलिस की चैकसी के चलते कर्बला में इस बार ताजिये दफन नहीं हो सके। जिसने भी जुलूस निकाला पुलिस ने पहुंच कर तुरंत उस जुलूस को तितरबितर करवा दिया और जो ताजिये कर्बला तक पहुंच भी गये उन्हें वहां तैनात पुलिस फोर्स ने दफन नहीं करने दिया।
वर्ग विशेष के लोगांे ने एक बार फिर अपनी कथित देशभक्ति दर्शायी और धर्म की आड़ लेकर सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ाने का प्रयास किया। जिला व पुलिस प्रशासन के कड़े निर्देशों के चलते उनके इस प्रयास को सफल नहीं होने दिया गया। हालांकि जगह-जगह से ताजिये का जुलूस उठाने का प्रयास किया गया लेकिन पुलिस प्रशासन को जब पता चला तो पहुंच कर पुलिस ने ताजिया नहीं निकलने दिया और समझाने का प्रयास किया कि यह सब धर्म को हानि पहुंचाने के लिए नहीं बल्कि आप सभी की सुरक्षा के लिए किया जा रहा है इसको गलत न समझा जाये। समझाने के बावजूद भी धर्म विशेष के अनुयायियों ने के बीच आक्रोश देखा गया तथा पुलिस और इन लोगांे के बीच बराबर झड़पें होती रहीं।
गुदड़ी पक्का पुल से ताजिये का जुलूस उठाया गया। पक्केपुल नुक्कड़ पर तिकोना थाने की पुलिस तैनात थी। जुलूस को पुलिस नहीं रोक सकी क्योंकि तैनात दरोगा दीपक त्रिवेदी वहां मौजूद नहीं थे। जुलूस आगे बढ़ा तो इसकी खबर सिओ सिटी तक पहुंच गई। वे तुरन्त दल-बल के साथ पक्के पुल पहुंचे और जुलूस को रुकवाया। सीओ ने दरोगा की जमकर क्लास ली और किसी भी प्रकार की कोताही बर्दास्त न करने की बात कही। खबर लगने पर कोतवाली प्रभारी वेदप्रकाश पाण्डे भी वहां पहुंच गये और जुलूस निकाले जाने पर काफी नाराजगी जाहिर की। प्रभारी निरीक्षक ने निर्देशित किया कि जिसने ताजिया निकाला है उसका नाम पता जाये और तुरन्त उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाये। पुलिस की सख्ती के चलते इस बार मोहर्रम पर हाय हुसैन के नारे नहीं गूंजे और न ही मातम करने का दृश्य दिखाई दिया।
उधर टाउन हाल पर कहीं का ताजिया पहुंच गया। जानकारी होते ही पुलिस वहां पहुंची और ताजियादारी कर रहे लोगांे से पुलिस की तीखी नोकझोंक हुई। पुलिस ने जुलूस को तितरबितर कर दिया और एक-दो लोगों को ताजिया लेकर कर्बला जाने दिया। हैवतपुर गढ़िया कालोनी से उठने वाला ताजिया कर्बला के निकट होने के कारण कर्बला तक तो पहुंच गया लेकिन पुलिस को सूचना मिलते ही पुलिस बल वहां पहुंचा और कर्बला वाले मकबरे के बाहर ताजियों को रखवा दिया। हालांकि ताजियेदारों ने ताजिये को सुपुर्द-ए-खाक करने की जिद पकड़ी लेकिन पुलिस की सख्ती के चलते किसी की एक नहीं चली और ताजियेदार रखके अपने-अपने घरों के लिए लौट गये। इसी तरीके की घटनायें शहर के कोने-कोने से सुनने में आई हैं।
वैसे दिन में मोहर्रम को पूरे दिन ताजियों के जुलूस बाजारों से होकर निकलते थे और मातम करते हुए या हुसैन की सदाओं के बीच नौहे पढ़े जाते थे लेकिन इस बार कोविड-19 के चलते यह मातम नहीं मनाया जा सका। हालांकि वर्ग विशेष का एक ऐसा भी तबका है जिसने कोरोना संक्रमण की गंभीरता को समझते हुए किसी भी प्रकार के जुलूस में भाग लेने का मन नहीं बनाया और समझाने का प्रयास कि सरकारी आदेश हमारे हित में ही हैं लेकिन कुछ कट्टरपंथियों की शह के चलते जगह-जगह से जुलूस उठाने का प्रयास किया गया। डीएम और एसपी के कड़े निर्देशों के चलते ताजियादारी का यह प्रयास कारगर साबित नहीं हुआ और लोगांे ने घरों में ही अपने धर्म पुरुष हसन और हुसैन की कुर्बानी पर मातम मनाया।