सुलियरी में गैर कानूनी धरना प्रदर्शन से हजारों लोगों की रोजी-रोटी दांव पर कोयले की आपूर्ति और परिवहन में स्थानीय लोगों की सकारात्मक भूमिका महत्वपूर्ण, सुलियरी खदान में धरना प्रदर्शन से स्थानीय लोगों की रोजी-रोटी दांव पर
जिला सिंगरौली मध्यप्रदेश से ब्यूरो चीफ विवेक पाण्डेय की खास रिपोर्ट
जिला सिंगरौली मध्यप्रदेश रिर्टन विश्वकाशी राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक मासिक समाचार पत्र (RV NEWS LIVE) ब्यूरो न्यूज़- पिछले कुछ दिनों से सुलियरी खदान से कोयले की परिवहन रुकने से सिंगरौली जिले में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से काम से कम से काम 5000 लोगों की रोजी-रोटी दांव पर लगी है। इससे जहां राज्य के बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति में बाधा पहुंची है वहीं दूसरी तरफ लगभग 5000 लोगों की रोटी छीनने के कगार पर है। गौरतबल है कि कुछ बाहरी तत्वों के द्वारा स्थानीय ग्रामीणों को इसके लिए उकसाया जाता है। यह तब हो है रहा जब प्रदेश में विधानसभा के चुनाव सर पर है और कुछ असामाजिक तत्व स्थानीय लोगों के हित के नाम पर अपनी राजनैतिक रोटी पकाना चाहते है।
सिंगरौली जिले में कोयला खदान के संचालन से पिछले कुछ वर्षों में स्थानीय लोगों के जीवन स्तर में जो बदलाव आया वह अब दिखने लगा है। कोयला खदान और बिजली कम्पनीओ के कारण यहां के लोग आर्थिक रूप से ना सिर्फ अपने आप को मजबूत कर सके, बल्कि उनके सामाजिक स्तर में भी काफी सुधार देखा जा रहा है। वहीं जिले में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों स्थानीय लोगों को नौकरी मिली है। ग्रामीणों मानते हैं कि खदान एवं बिजली संयंत्रों में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से ना सिर्फ गांव के युवाओं को रोजगार मिला बल्कि स्थानीय महिलाओं को भी स्वरोजगार के कई अवसर प्रदान किए गए हैं, जिससे कि महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन रही हैं। स्थानीय लोगों की आर्थिक एवं सामाजिक स्तर में सुधार के अलावा उन्हें अस्पताल, विद्यालय, पेयजल, एंबुलेंस जैसी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई जा रही है। सुलियरी खदान अकेले करीब 1200 बच्चों के लिए अद्यतन स्कूल और सैकड़ों परिवारों के लिए आधुनकि सुविधाओं से युक्त शानदार कॉलोनी का निर्माण करवाया गया है।
देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता में सिंगरौली का खास योगदान:
मध्यप्रदेश स्थित सिंगरौली का देश के विद्युत क्षेत्र और अर्थव्यवस्था में विशेष महत्व है। मध्यप्रदेश के विपुल खनिज भण्डार राज्य के औद्योगिक और आर्थिक विकास की प्रमुख कड़ी है। कोयले के उत्पादन में मध्यप्रदेश का देश में चौथा स्थान है जहां देश के 7.8% कोयला भंडार है और भारत के कुल कोयला उत्पादन का 13.6% पैदा करता है। हाल में ही राज्य सभा में कोयला मंत्रालय द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक देश भर में सरकारी और निजी क्षेत्रों को मिलकर कुल 488 कोयला का खदान है जिसमें मध्यप्रदेश में स्थित कोयला खदानों की संख्या 79 है। मध्यप्रदेश में वर्ष 2022 के दौरान 137.953 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ जबकि वर्ष 2021 के दौरान 132.531 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ था जिससे प्रदेश को हजारों करोड़ का राजस्व मिला। इससे एक ओर जहां कोयला संकट के दौर में जरूरतें पूरी हुई है, वहीं दूसरी ओर 2700 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ है। (Source: Ministry of Coal)
बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए कोयला उत्पादन बढ़ाना होगा:
करीब सबसे ज्यादा जनसख्या के साथ भारत विश्व में तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा खपत वाला देश है। देश में आर्थिक गतिविधियों में सुधार के चलते बढ़ी मांग से वित्त वर्ष 2022-23 में बिजली की खपत में 9.5 प्रतिशत की वृद्धि रही है। विश्लेषकों का मानना है कि 2023-24 में बिजली खपत में वृद्धि दो अंक यानी 10 प्रतिशत से अधिक रह सकती है। इस वर्ष अप्रैल के मध्य में ऊर्जा की सर्वाधिक मांग का आंकड़ा अपने उच्चतम स्तर को पार कर गया है। तेजी से बढ़ रहे तापमान के कारण ऊर्जा की मांग 200 गीगावाट के आंकड़े को लांघ चुकी है। 2040 तक अनुमानित बिजली उत्पादन लगभग 3000 बिलियन यूनिट होगा, भारत की ऊर्जा मांग दोगुनी हो जाएगी और इस मांग को पूरा करने के लिए थर्मल कोयले की मांग बढ़कर लगभग 1500 मिलियन टन हो जाएगी। इसे देखते हुए कोल इंडिया ने 2025-26 में 1 अरब टन उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने की योजना बनाई है। (Source: Ministry of coal)
सरकार की आयातित कोयले पर निर्भरता कम करने की कोशिश:
नीति आयोग के एक ड्राफ्ट रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक कोयले की मांग लगभग 1300 मिलियन टन रहनेवाली है। ऊर्जा की मांग वर्ष 2018 के बाद से अब तक 100 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुकी है। ऐसे में बिजली आपूर्ति का मुख्य दारोमदार कोयला पर आधारित ऊर्जा पर आ गया है। देश में आगामी समय में काला सोना यानि कोयले का उत्पादन और भी तेज हो जाएगा क्योंकि सरकार ने इसके लिए एक बेहतरीन कार्ययोजना तैयार कर ली है। इसी के साथ वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने कुल कोयला उत्पादन में ऊंची छलांग लगाते हुए करीब 22.6% वृद्धि हासिल कर ली है। दअरसल, केंद्र सरकार की प्राथमिकता है कि कोयले के आयात पर निर्भरता कम करने के साथ घरेलू कोयला उत्पादन को बढ़ाया जाए। इसी दिशा में सरकार तेजी से कार्य कर रही है। इससे विदेशी मुद्रा की भी काफी बचत होगी और देश का पैसा देश में ही रहेगा जिसे भारतीय अर्थव्यवस्था की तरक्की में काम में लाया जा सकता है। (source: pib.gov.in)
देश के विकास में ईंधन की उपयोगिता सर्वाधिक होती है और जब बात बिजली उत्पादन से लेकर फैक्ट्रियों के संचालन की हो तो कोयले का महत्व अपने आप बढ़ जाता है। कोयला किसी भी विकासशील देश की विकास यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इसी के मद्देनजर अर्थव्यवस्था के विकास को रफ्तार देने के लिए केंद्र सरकार ने कोयला उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य तय किया है।